राहुल गांधी के ‘हरियाणा वोट चोरी’ आरोपों ने छेड़ी बड़ी बहस
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हरियाणा में हुए चुनावों को लेकर एक बड़ा और गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि हरियाणा में “वोट चोरी” हुई है और जनता के असली जनादेश को बदला गया है। राहुल गांधी के इस बयान ने पूरे देश में राजनीतिक हलचल मचा दी है।
क्या कहा राहुल गांधी ने
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा कि हरियाणा की जनता ने साफ तौर पर बदलाव के लिए वोट दिया था, लेकिन परिणाम में जनता की आवाज को दबाया गया। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर भी एक पोस्ट करते हुए लिखा कि “जनता की जीत को सत्ता के खेल ने हरा दिया।” राहुल गांधी का इशारा साफ था कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर शक है।
बीजेपी का जवाब
भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी के इन आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया है। उनका कहना है कि चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराए गए हैं। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस हार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है, इसलिए अब “वोट चोरी” जैसे आरोप लगाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
कांग्रेस की दलील
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि कई जगहों पर गिनती की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है। पार्टी ने कुछ सीटों के नतीजों पर सवाल उठाते हुए पुनर्गणना की मांग की है। उनका कहना है कि कांग्रेस उम्मीदवारों को जानबूझकर पीछे दिखाया गया ताकि बीजेपी गठबंधन को फायदा हो।
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जनता की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद सोशल मीडिया पर भारी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग कह रहे हैं कि अगर वाकई वोट चोरी हुई है तो जांच होनी चाहिए, जबकि कई लोग इसे केवल राजनीतिक बयानबाजी मान रहे हैं। X और Instagram पर #VoteChori और #HaryanaResults जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं।
चुनाव आयोग की भूमिका
अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं। आयोग ने फिलहाल इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह आरोपों की जांच करने की तैयारी में है। अगर जांच शुरू होती है, तो यह मामला आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है।
राहुल गांधी के “वोट चोरी” बयान ने हरियाणा के राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे जनता के साथ अन्याय बता रही है, वहीं बीजेपी इसे राजनीतिक ड्रामा कह रही है। अब देखना यह होगा कि क्या इन आरोपों के पीछे कोई सच्चाई है या यह सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में ऐसे आरोप न सिर्फ चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं, बल्कि जनता के विश्वास की परीक्षा भी लेते हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गहराएगा, इसमें कोई शक नहीं।
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